अब संरक्षण की आव’यकता
अब संरक्षण की आव’यकता
खेल लेखन का संकट धीरे धीरे गहराता जा रहा है। खेलो का आकृषण खेल प्रेमियो के बीच बढ़ाने की यह कला अब समाप्त होती जा रही है जबकि आज के समाज में इसकी सर्वाधिक आव’यकता महसूस की जा रही है। दे’ा और विदे’ा के समाचार पत्रांे जहां खेल फीचर पेजो का प्रका’ान बंद हो रहा है वहीं खेल लेखको की संख्या भी घट रही है। यह एक चिंता का विषय है। खेल लेखन अब उस दौर में पहुंच गया हैं जहां उसको संरक्षण की आव’यकता महसूस होने लगी है। जब कोइ्र्र कला लुप्त होती है तो उसके संरक्षण की जिम्म्ेदारी सरकार की हो जाती है। साहित्य अकादमियों के माध्यम से खेल लेखन को संरक्षण की आव’यकता है। राजस्थान में खेल लेखन को सुनहरा इतिहास रहा है। उसके हवाले से से इसके संरक्षण की आव’यकता है। पूरे दे’ा में स्कूलो और काॅलेजो के पुस्तकालयों में खेल साहित्य की आव’यकता काफी महसूस की जा रही है। दे’ा के खेल प्रेमी भी साहित्यक अंदाज में खेल समीक्षा की जरूरत महसूस कर रहे है। इसलिए खेल लेखको को इस बात पर विचार करना चाहिए। खेल लेखको को इस विषय पर पहल करनी चाहिए। प’िचमी राजस्थान खेल लेखक संघ की आगामी बैठको में इस मुद्दे को उठाना चाहिए। पवेलियन सभी खेल लेखको से इस विषय पर पहल के लिए आह्वान करता है।
संपादक
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